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भूल चूक माफ़, करण शर्मा द्वारा निर्देशित एक रोमांटिक कॉमेडी है जो टाइम-लूप की कहानी को प्रेम और पारिवारिक अपेक्षाओं के साथ जोड़ती है। राजकुमार राव और वामीका गब्बी मुख्य भूमिकाओं में हैं, और फिल्म हास्य के साथ विज्ञान कथा का तड़का लगाने की कोशिश करती है।
बनारस की जीवंत पृष्ठभूमि में रंजीत (राजकुमार राव) की कहानी है, जो बेरोज़गार है और टिटली (वामीका गब्बी) से बेहद प्यार करता है। दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन टिटली के पिता की शर्त है कि रंजीत पहले सरकारी नौकरी पाए। रंजीत काफी मेहनत करके अंततः सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेता है, जिससे टिटली के पिता भी शादी के लिए राज़ी हो जाते हैं। शादी की तैयारियां शुरू होती हैं और हल्दी का दिन आता है। यहीं से एक अजीब घटना शुरू होती है—रंजीत एक टाइम-लूप में फंस जाता है और हल्दी वाला दिन बार-बार दोहराया जाने लगता है।
हर बार वह जागता है तो पाता है कि हल्दी का वही दिन फिर से शुरू हो गया है। शुरुआत में वह इसे सपना समझता है, लेकिन जल्द ही उसे एहसास होता है कि कुछ असामान्य हो रहा है। इस दोहराए जा रहे दिन में रंजीत कई गलतियाँ करता है, कुछ घटनाओं को बदलने की कोशिश करता है, और कभी-कभी भावनात्मक रूप से टूट जाता है।
धीरे-धीरे उसे यह एहसास होता है कि वह एक वादा भूल गया है जो उसने भगवान शिव से किया था। जब तक वह उस अधूरे वादे को पूरा नहीं करता, तब तक वह इस चक्र से मुक्त नहीं हो सकता। अंततः जब वह उस वादे को पूरी श्रद्धा से निभाता है और अपने जीवन के फैसलों को लेकर गंभीर होता है, तभी वह टाइम-लूप से बाहर निकल पाता है और आगे की शादी की रस्में सामान्य रूप से संपन्न होती हैं।
राजकुमार राव हमेशा की तरह अपनी अदाकारी में गंभीर हैं। उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति की निराशा और बेचैनी को अच्छी तरह से दर्शाया है जो समय के जाल में फंसा हुआ है। हालांकि समीक्षकों का मानना है कि यह भूमिका उनकी पिछली भूमिकाओं से बहुत अलग नहीं है।
वामीका गब्बी ने इस फिल्म में कॉमेडी की दुनिया में कदम रखा है। शुरुआती घबराहट के बाद उन्होंने सहजता से किरदार को निभाया है। उनकी और राव की केमिस्ट्री ने फिल्म में गहराई जोड़ी है।
सीमा पाहवा, रघुबीर यादव और संजय मिश्रा जैसे अनुभवी कलाकारों ने फिल्म को मजबूती दी है। उनके अभिनय ने फिल्म को यथार्थ की जमीन पर टिकाए रखा और पारिवारिक भावनाओं को सजीव किया।
करण शर्मा ने रोमांटिक कॉमेडी में विज्ञान कथा को जोड़ने की एक साहसिक कोशिश की है। हालांकि फिल्म की संकल्पना आकर्षक है, लेकिन निष्पादन में कमज़ोरी दिखती है। विशेष रूप से फिल्म की पहली आधी भाग में पटकथा की गति धीमी महसूस होती है और यह केवल दूसरे भाग में आकर संतुलन पकड़ती है।
फिल्म में बनारस की गली-कूचों और आध्यात्मिक वातावरण को खूबसूरती से कैमरे में कैद किया गया है। लेकिन संगीत पक्ष थोड़ा कमजोर रहा है और गाने कहानी को मजबूत करने की बजाय बाधा प्रतीत होते हैं।
फिल्म को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है। कुछ दर्शकों ने कहानी और कलाकारों के प्रदर्शन की सराहना की है, जबकि कुछ ने इसे भ्रमित करने वाली और अधूरी पटकथा बताई है। टाइम-लूप जैसा कांसेप्ट कुछ लोगों को आकर्षक लगा तो कुछ को जटिल।
मिश्रित समीक्षाओं के बावजूद भूल चूक माफ़ ने पहले दिन ही ₹7.2 करोड़ की कमाई की, और द डिप्लोमैट तथा देवा जैसी फिल्मों से आगे निकल गई। इससे पता चलता है कि फिल्म में दर्शकों की प्रारंभिक रुचि थी।
भूल चूक माफ़ एक प्रयोगशील फिल्म है जो प्रेम, ज़िम्मेदारी और आत्म-खोज की कहानी कहने के लिए शैली का अनूठा मिश्रण पेश करती है। इसकी कमियों के बावजूद कलाकारों का प्रदर्शन और इसका संदेश दर्शकों को कुछ हद तक जोड़ने में सफल रहता है। यह एक प्रयास है जिसे सराहा जाना चाहिए।
Bhool chuk maaf movie trailer