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बीजिंग के तियानआनमेन स्क्वायर पर मंगलवार को हुई विजय दिवस परेड 2025 ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। यह आयोजन हर साल नहीं होता, बल्कि खास ऐतिहासिक अवसरों पर किया जाता है। इस बार की परेड विशेष थी क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर जीत और एशिया में युद्ध के अंत (Anti-Japanese War की समाप्ति) की 80वीं वर्षगांठ पूरी हुई है। इस मौके पर चीन ने इतिहास को याद करते हुए भविष्य की दिशा में भी मजबूत संदेश दिया।
परेड में चीन की सैन्य ताकत का बड़ा प्रदर्शन हुआ। नवीनतम मिसाइल सिस्टम, हाइपरसोनिक हथियार, आधुनिक ड्रोन, साइबर सुरक्षा तकनीक और नौसैनिक उपकरणों को दिखाया गया। पहली बार मानवरहित और स्मार्ट हथियार प्रणाली और मानवरहित कॉम्बैट वाहन भी प्रदर्शित किए गए। चीन ने यह जताया कि वह अब भविष्य की युद्ध तकनीकों पर तेजी से काम कर रहा है।
इस आयोजन की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति भी चर्चा में रही। रूस, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और कई अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। सबसे ज्यादा सुर्खियां इस बात से बनीं कि व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन खुद बीजिंग पहुंचे। इसे चीन और उसके सहयोगियों के बीच मजबूत होते रिश्तों का संकेत माना जा रहा है। वहीं, पश्चिमी देशों के प्रतिनिधि नहीं दिखे, जिससे मौजूदा भू-राजनीतिक खींचतान भी साफ नजर आई।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रंग भी परेड में शामिल थे। हजारों सैनिकों ने पारंपरिक और आधुनिक वर्दियों में मार्च किया। द्वितीय विश्व युद्ध के समय बलिदान देने वाले सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई। चीन ने यह स्पष्ट किया कि वह अपनी ऐतिहासिक स्मृतियों को जीवित रखना चाहता है और इसे राष्ट्रवाद की भावना से जोड़कर नई पीढ़ी तक पहुंचाना चाहता है।
इस बार का आकर्षण पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की महिला बटालियन रही, जिसने अनुशासन और पराक्रम का शानदार प्रदर्शन किया। साथ ही हाई-टेक ड्रोनों के डिजिटल शो ने परेड को और भी खास बना दिया।
अब सवाल यह है कि इस परेड के मायने क्या हैं? इसे केवल सैन्य प्रदर्शन मानना ठीक नहीं होगा। यह एक राजनीतिक संदेश भी था। चीन ने संकेत दिया कि वह अब केवल एशिया ही नहीं बल्कि दुनिया में वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है। अमेरिका और उसके सहयोगियों से बढ़ते तनाव के बीच यह प्रदर्शन चीन की आत्मनिर्भरता और सैन्य क्षमता का सबूत था।
घरेलू स्तर पर यह आयोजन जनता में गर्व और राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करने का प्रयास था। आर्थिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बीच चीन यह भरोसा दिलाना चाहता था कि उसका भविष्य सुरक्षित है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, परेड का मकसद यह जताना था कि चीन अब क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक स्थिरता का अहम केंद्र है। उसने यह भी स्पष्ट किया कि एशिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है और चीन किसी भी चुनौती का जवाब देने में सक्षम है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आयोजन चीन की सॉफ्ट पावर और हार्ड पावर दोनों का मिश्रण था। सांस्कृतिक और ऐतिहासिक झलकियों से जहां उसने अपनी सभ्यता की महानता पर जोर दिया, वहीं आधुनिक हथियारों ने उसकी रणनीतिक क्षमता को उजागर किया।
संक्षेप में, विजय दिवस परेड 2025 चीन के लिए इतिहास को याद करने का मौका ही नहीं थी, बल्कि भविष्य के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं और शक्ति का संदेश देने का मंच भी बनी। आने वाले वर्षों में यह आयोजन वैश्विक राजनीति के लिए और भी अहम साबित हो सकता है।
संदर्भ (References): Reuters, The Guardian, AP News, Wikipedia, Al Jazeera